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Thursday, March 17, 2016

आज नदी बिलकुल उदास थी

आज नदी बिलकुल उदास थी
सोयी थी अपने पानी में
उसके दर्पण पर
बादल का वस्त्र पड़ा था।

मैंने उसको नहीं जगाया
दबे पाँव घर वापस आया।

~ केदारनाथ अग्रवाल

  Mar 10, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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