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Thursday, March 17, 2016

वस्ल हो जाए यहीं

वस्ल हो जाए यहीं, हश्र में क्या रक्खा है
आज की बात को क्यूँ कल पे उठा रक्खा है

*वस्ल=मिलन; हश्र=क़यामत का दिन

~ अमीर मीनाई

  Mar 14, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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