वस्ल हो जाए यहीं, हश्र में क्या रक्खा है
आज की बात को क्यूँ कल पे उठा रक्खा है
*वस्ल=मिलन; हश्र=क़यामत का दिन
~ अमीर मीनाई
Mar 14, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
आज की बात को क्यूँ कल पे उठा रक्खा है
*वस्ल=मिलन; हश्र=क़यामत का दिन
~ अमीर मीनाई
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