Disable Copy Text

Sunday, July 16, 2017

कुछ अजब आन से लोगों में

Image may contain: 1 person, smiling, standing, ocean, sky, cloud, mountain, outdoor, nature and water


कुछ अजब आन से लोगों में रहा करते थे
हम ख़फ़ा हो के भी आपस में मिला करते थे

इतनी तहज़ीब-ए-रह-ओ-रस्म तो बाक़ी थी कि वो
लाख रंजिश सही वादा तो वफ़ा करते थे
*तहज़ीब-ए-रह-ओ-रस्म=सभ्यता और रिवाज़

उस ने पूछा था कई बार मगर क्या कहते
हम मिज़ाजन ही परेशान रहा करते थे
*मिज़ाजन=दिमागी तौर से

ख़त्म था हम पे मोहब्बत का तमाशा गोया
रूह और जिस्म को हर रोज़ जुदा करते थे

एक चुप-चाप लगन सी थी तिरे बारे में
लोग आ आ के सुनाते थे सुना करते थे

तेरी सूरत से ख़ुदा से भी शनासाई थी
कैसे कैसे तिरे मिलने की दुआ करते थे
*शनासाई=जान पहचान

उस को हम-राह लिए आते थे मेरी ख़ातिर
मेरे ग़म-ख़्वार मिरे हक़ में बुरा करते थे
*ग़म-ख़्वार=दिलासा देने वाले

ज़िंदगी हम से तिरे नाज़ उठाए न गए
साँस लेने की फ़क़त रस्म अदा करते थे

हम बरस पड़ते थे 'शाज़' अपनी ही तन्हाई पर
अब्र की तरह किसी दर से उठा करते थे
*अब्र=बादल

~ शाज़ तमकनत

  Jun 13, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment