यह खुला है
इसलिए ख़तरनाक है
ख़तरनाक है इसलिए सुंदर
इसे कोई भी पढ़ सकता है
वह भी जिसे पढ़ना नहीं
सिर्फ़ छूना आता है
इस पर लिखा जा सकता है कुछ भी
बस, एक ही शर्त है
कि जो भी लिखा जाय
पोस्टकार्ड की अपनी स्वरलिपि में
लिखा जाय
पोस्टकार्ड की स्वरलिपि
कबूतरों की स्वरलिपि है
असल में यह कबूतरों की किसी भूली हुई
प्रजाति का है
उससे टूटकर गिरा हुआ
एक पुरातन डैना
इसका रंग
तुम्हारी त्वचा के रंग से
बहुत मिलता है
पर नहीं
तुम दावा नहीं कर सकते
कि जो तुम्हें अभी-अभी देकर गया है डाकिया
वह तुम्हारा
और सिर्फ़ तुम्हारा पोस्टकार्ड है
पोस्टकार्ड का नारा है -
लिखना
असल में दिखना है
समूची दुनिया को
जिसमें अंधे भी शामिल हैं
एक कोरा पोस्टकार्ड
ख़ुद एक संदेश है
मेरे समय का सबसे रोमांचक संदेश l
~ केदारनाथ सिंह
Jul 3 , 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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