पहले वह रंग थी
फिर रूप बनी
रूप से जिस्म में तब्दील हुई
और फिर...
जिस्म से बिस्तर बन के
घर के कोने में लगी रहती है
जिसको कमरे में घुटा सन्नाटा
वक़्त बेवक़्त उठा लेता है
खोल लेता है बिछा लेता है।
~ निदा फ़ाज़ली
Jun 14, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
फिर रूप बनी
रूप से जिस्म में तब्दील हुई
और फिर...
जिस्म से बिस्तर बन के
घर के कोने में लगी रहती है
जिसको कमरे में घुटा सन्नाटा
वक़्त बेवक़्त उठा लेता है
खोल लेता है बिछा लेता है।
~ निदा फ़ाज़ली
Jun 14, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment