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Sunday, July 16, 2017

पहले वह रंग थी

पहले वह रंग थी
फिर रूप बनी
रूप से जिस्म में तब्दील हुई
और फिर...
जिस्म से बिस्तर बन के
घर के कोने में लगी रहती है
जिसको कमरे में घुटा सन्नाटा
वक़्त बेवक़्त उठा लेता है
खोल लेता है बिछा लेता है।

~ निदा फ़ाज़ली


  Jun 14, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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