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Wednesday, July 19, 2017

टूटे आस्तीन का बटन

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टूटे आस्तीन का बटन
या कुर्ते की खुले सिवन
कदम-कदम पर मौके, तुम्हें याद करने के।

फूल नहीं बदले गुलदस्तों के
धूल मेजपोश पर जमी हुई।
जहां-तहां पड़ी दस किताबों पर
घनी सौ उदासियाँ थमी हुई।

पोर-पोर टूटता बदन
कुछ कहने-सुनने का मन
कदम-कदम पर मौके, तुम्हें याद करने के।

अरसे से बदला रुमाल नहीं
चाभी क्या जाने रख दी कहां।
दर्पण पर सिंदूरी रेख नहीं
चीज नहीं मिलती रख दो जहां।

चौके की धुआँती घुटन
सुग्गे की सुमिरिनी रटन
कदम-कदम पर मौके, तुम्हें याद करने के।

किसे पड़ी, मछली-सी तड़प जाए
गाल शेव करने में छिल गया।
तुमने जो कलम एक रोपी थी
उसमें पहला गुलाब खिल गया।

पत्र की प्रतीक्षा के क्षण
शहद की शराब की चुभन
कदम-कदम पर मौके, तुम्हें याद करने के।

~ उमाकांत मालवीय


  Jun 21, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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