हम यहाँ हैं
तुम वहाँ हो
और उलझी कहीं पीछे डोर
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
इस तरह भी कहीं होता है?
इस तरह तो नहीं होता है
सिर्फ होता है वही, जो सामने है,
पीठ पीछे कौन होता है?
पीठ पीछे
सामने के बीच हम केवल
बहुत कमजोर!
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
मुश्किलों की याद आती है
यात्रा तो भूल जाती है
भूलने की बात भी तो भूलती है,
भूल ही सब कुछ भुलाती है
जो भुलाये
भूल जाये ज़िन्दगी को
वही सीनाजोर!
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
दिनेश सिंह
Jun 22, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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