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Sunday, July 30, 2017

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं

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फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था
वो मुझ से इंतिहाई ख़ुश ख़फ़ा होने से पहले था
*इंतिहाई=बे हद

किया करते थे बातें ज़िंदगी-भर साथ देने की
मगर ये हौसला हम में जुदा होने से पहले था

हक़ीक़त से ख़याल अच्छा है बेदारी से ख़्वाब अच्छा
तसव्वुर में वो कैसा सामना होने से पहले था
*बेदारी=जागृत अवस्था

अगर मादूम को मौजूद कहने में तअम्मुल है
तो जो कुछ भी यहाँ है आज क्या होने से पहले था
*मादूम=लुप्त; तअम्मुल=हिचकिचाहट

किसी बिछड़े हुए का लौट आना ग़ैर-मुमकिन है
मुझे भी ये गुमाँ इक तजरबा होने से पहले था
*तजरबा=अनुभव

'शऊर' इस से हमें क्या इंतिहा के बा'द क्या होगा
बहुत होगा तो वो जो इब्तिदा होने से पहले था
*इब्तिदा=शुरुआत

~ अनवर शऊर

Jun 30 , 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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