Disable Copy Text

Friday, August 4, 2017

अगर मैंने किसी के होंठ पाटल

Image may contain: 1 person, closeup

अगर मैंने किसी के होंठ पाटल कभी चूमे
अगर मैंने किसी के नैन के बादल कभी चूमे
कली सा तन, किरन सा मन, शिथिल सतरंगिया आँचल
उसी में खिल पड़े यदि भूल से कुछ ओठ के पाटल।

न हो यह वासना तो जिंदगी की माप कैसे हो,
नसों का रेशमी तूफान मुझको पाप कैसे हो।

किसी की साँस में बुन दूँ अगर अंगूर की परतें
प्रणय में निभ नहीं पातीं कभी इस तौर की शर्तें,
यहाँ तो हर कदम पर स्वर्ग की पगडंडियाँ घूमीं
अगर मैंने किसी की मदभरी अंगड़ाइयाँ चूमीं।

महज इस से किसी का प्यार मुझ पर पाप कैसे हो,
मझ इस से किसी का स्वर्ग मुझ पर श्राप कैसे हो।

‍~ धर्मवीर भारती


  Jul 20 , 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment