होगा, जो भी होगा साला
देखा जाएगा।
क्या कर लेगा ऊपर वाला
देखा जाएगा।
डर जीवन की पहली और अन्तिम कठिनाई है
मौत को लेकर सौदेबाज़ी होती आई है
करो कलेजा कड़ा
आँख में आँखें डाल कहो
यह लो अपनी कण्ठी माला, देखा जाएगा।
पुल के नीचे एक किनारे दुबकी पड़ी नदी
दुनिया, दुनिया वालों से रहती है कटी-कटी
सपने सावन के अन्धों की भीड़ हो गए हैं
अन्धों से भी कहीं उजाला देखा जाएगा ?
मरना सच है, जानके भी
किसने जीना छोड़ा
सच की राह में अपना टुच्चापन ही है रोड़ा
केवल ख़तरा-ख़तरा चिल्लाने से बेहतर है
मार लें हम होठों पर ताला
देखा जाएगा।
~ देवेन्द्र आर्य
Jul 16 , 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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