Disable Copy Text

Saturday, August 5, 2017

बिछड़ गए तो फिर भी मिलेंगे





बिछड़ गए तो फिर भी मिलेंगे हम दोनों एक बार
या इस बसती दुनिया में या इसकी हदों से पार

लेकिन ग़म है तो बस इतना जब हम वहां मिलेंगे
एक दूसरे को हम कैसे तब पह्चान सकेंगे
यही सोचते अपनी जगह पर चुप चुप खड़े रहेंगे

इससे पहले भी हम दोनों कहीं ज़रूर मिले थे
यह पहचान के नए शगूफ़े पहले कहां खिले थे

या इस बसती दुनिया में या इसकी हदों से पार
बिछड़ गए हैं मिल कर दोनों पहले भी एक बार

~ मुनीर नियाज़ी

  Aug 5 , 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment