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Wednesday, June 21, 2017

हम उस को भूल बैठे हैं

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हम उस को भूल बैठे हैं अँधेरे हम पे तारी हैं
मगर उस के करम के सिलसिले दुनिया पे जारी हैं
*तारी=छाये हुये

करें ये सैर कारों में कि उड़ लें ये जहाज़ों में 
फ़रिश्ता मौत का कहता है ये मेरी सवारी हैं

न उन के क़ौल ही सच्चे न उन के तोल ही सच्चे
ये कैसे देश के ताजिर हैं कैसे ब्योपारी हैं
*ताज़िर=धंधे वाले

हमारी मुफ़्लिसी आवारगी पे तुम को हैरत क्यूँ
हमारे पास जो कुछ है वो सौग़ातें तुम्हारी हैं
*मुफ़्लिसी=गरीबी

नसब के ख़ून के रिश्ते हों या पीने पिलाने के
कलाई पर बंधे धागे के रिश्ते सब पे भारी हैं
*नसब=नस्ल

ये अपनी बेबसी है या कि अपनी बे-हिसी यारो
है अपना हाथ उन के सामने जो ख़ुद भिकारी हैं
*बे-हिसी=बेपरवाही

हमें भी देख ले दुनिया की रौनक़ देखने वाले
तिरी आँखों में जो आँखें हैं वो आँखें हमारी हैं

अज़ीज़-ए-ना-तवाँ के सामने कोहसार-ए-ग़म हल्का
मगर एहसान के तिनके अज़ल से उन पे भारी हैं
*ना-तवाँ=कमज़ोर; कोहसार=पर्वत; अज़ल=आदिकाल

~ अज़ीज़ अन्सारी

  Jun 3, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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