काग़ज़ की नाव क्या हुई दरिया किधर गया
बचपन को जो मिला था वो लम्हा किधर गया
मादूम सब हुईं वो तजस्सुस की बिजलियाँ
हैरत में डाल दे वो तमाशा किधर गया
*मादूम=गायब; तजस्सुस=ढूंढ ढांढ
फिर यूँ हुआ कि लोग मशीनों में ढल गए
वो दोस्त लब पे ले के दिलासा किधर गया
क्या दश्त-ए-जाँ की सोख़्ता-हाली कहें इसे
चाहत में चाँद छूने का जज़्बा किधर गया
* दश्त-ए-जाँ=ज़िंदगी का रेगिस्तान; सोख़्ता-हाली=(पानी या जीवन) सोख लेने की हालत
तारीकियाँ हैं साथ मिरे और सफ़र मुदाम
कल तक था हम-क़दम जो फ़रिश्ता किधर गया
*मुदाम=लालसा, हमेशा
जो रहनुमा थे मेरे कहाँ हैं वो नक़्श-ए-पा
मंज़िल पे छोड़ता था जो रस्ता किधर गया
*नक़्श-ए-पा=पाँव के निशान
~ जावेद नदीम
May 26, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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