उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े
हर शाम ये सवाल मोहब्बत से क्या मिला
हर शाम ये जवाब कि हर शाम रो पड़े
राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थी
दो गाम ही चले थे कि हर गाम रो पड़े
*गाम=क़दम
रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े
~ सुदर्शन फ़ाकिर
May 21, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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