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Monday, June 12, 2017

तुम नहीं होते अगर

Image may contain: flower, plant, outdoor and nature

तुम नहीं होते अगर जीवन विजन सा द्वीप होता।

मैं किरण भटकी हुई सी थी तिमिर में,
काँपती सी एक पत्ती ज्यों शिशिर में,
भोर का सूरज बने तुम पथ दिखाया,
ऊष्मा से भर नया जीवन सिखाया,

तुम बिना जीवन निठुर मोती रहित इक सीप होता।

चंद्रिका जैसे बनी है चंद्र रमणी,
प्रणय मदिरा पी गगन में फिरे तरुणी,
मन हुआ गर्वित मगर फिर क्यों लजाया,
हृद-सिंहासन पर मुझे तुम ने सजाया,

तुम नहीं तो यही जीवन लौ बिना इक दीप होता।

शुक्र का जैसे गगन में चाँद संबल
मील का पत्थर बढ़ाता पथिक का बल
दी दिशा चंचल नदी को कूल बन कर
तुम मिले किस प्रार्थना के फूल बन कर

जो नहीं तुम यह हृदय-प्रासाद बिना महीप होता।

‍~ मानोशी


  May 11, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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