देखना है मुझ को तो नज़दीक आकर देखिये
प्यार भी हो जायेगा नज़रें मिलाकर देखिये।
नीड़ चिड़ियों का नहीं मधुमक्खियों का घर है ये
आप इसका एक भी तिनका हटाकर देखिये।
आपके गीतों से यह माहौल बदलेगा ज़रूर
जान अपना ख़ून शब्दों को पिलाकर देखिये।
आपको लेना है गर सावन के मौसम का मज़ा
जाइये बादल के नीचे घर बनाकर देखिये।
आपकी महफ़िल में अपना भी तो कुछ हक है ज़रुर
एक पल मेरी तरफ़ भी मुस्कुराकर देखिये।
ये अंधेरा इसलिए है ख़ुद अँधेरे में हैं आप
आप अपने दिल को इक दीपक बनाकर देखिये।
किस तरह सुर और सरगम से महक उठते हैं घर
गीत नीरज के किसी दिन गुनगुनाकर देखिये।
~ गोपालदास नीरज
May 16, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment