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Wednesday, June 21, 2017

मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो

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मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो
मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे
न जाने मुझे क्यों यकीं हो चला है
मेरी याद को तुम मिटा ना सकोगे

मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम
कभी नग़मा बन के, कभी बन के आंसू
तड़पता मुझे हर तरफ़ पाओगे तुम
शमा जो जलायी मेरी वफ़ा ने
बुझाना भी चाहो बुझा ना सकोगे

कभी नाम बातों में आया जो मेरा
तो बेचैन हो-हो के दिल थाम लोगे
निगाहों में छायेगा ग़म का अँधेरा
किसी ने जो पूछा सबब आंसुओं का
बताना भी चाहो बता ना सकोगे

मेरे दिल की धड़कन बनी है जो शोला
सुलगते हैं अरमाँ, यूँ बन-बन के आँसू
कभी तो तुम्हें भी ये अहसास होगा
मगर हम ना होंगे, तेरी ज़िन्दगी में
बुलाना भी चाहो, बुला ना सकोगे

‍~‍ मसरूर अनवर

  Jun 5, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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