जिन के गुनाह मेरी नज़र से निहाँ नहीं
रहते हैं मुझ से दिल में ख़फ़ा किस क़दर वो लोग
*निहाँ=छिपे हुये
मंज़िल जिन्हें अज़ीज़ न रह-रव जिन्हें अज़ीज़
कहलाते हैं हमारे यहाँ राहबर वो लोग
*रह-रव=रास्ता; राहबर=रास्ता दिखाने वाले
अंजाम-ए-कारवाँ था इसी बात से अयाँ
मंज़िल थी जिन की और बने हम-सफ़र वो लोग
*अयाँ=प्रत्यक्ष
अपना समझ सकें न जिन्हें ग़ैर कह सकें
मिलते हैं हर क़दम पे सर-ए-रह-गुज़र वो लोग
*सर-ए-रह-गुज़र=राह में
तेरा कलाम सुन के जो ख़ामोश हैं 'नज़ीर'
उन का गिला न कह कि हैं अहल-ए-नज़र वो लोग
*अहल-ए-नज़र=दूर दृष्टि वाले
~ नज़ीर सिद्दीक़ी
Jun 6, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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