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Monday, June 12, 2017

अरे कहीं देखा हैं तुमने

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अरे कहीं देखा हैं तुमने
मुझे प्यार करने वाले को?
मेरी आँखों में आकर फिर
आँसू बन ढरने वाले को ?

सूने नभ में आग जलाकर
यह सुवर्ण-सा हृदय गलाकर
जीवन सन्ध्या को नहला कर
रिक्त जलधि भरने वाले को ?

रजनी के लघु-तम कन में
जगती की ऊष्मा के वन में
उस पर पड़ते तुहिन सघन में
छिप, मुझसे डरने वाले को ?

निष्ठुर खेलों पर जो अपने
रहा देखता सुख के सपने
आज लगा है क्या वह कँपने
देख मौन मरने वाले को ?

~ जयशंकर प्रसाद


  May 10, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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