जिस छिद्र में फूँक भरने से
मेरी बाँसुरी बजती है,
तुमने उसी में फूँक भरी है।
उस फूँक से जो स्वर निकलेगा,
उससे सारा जंगल हिल उठेगा।
पक्षी बोल उठेंगे,
हवा चल पड़ेगी,
फूल खिल उठेगा।
~ नंदकिशोर नवल
Aug 19, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मेरी बाँसुरी बजती है,
तुमने उसी में फूँक भरी है।
उस फूँक से जो स्वर निकलेगा,
उससे सारा जंगल हिल उठेगा।
पक्षी बोल उठेंगे,
हवा चल पड़ेगी,
फूल खिल उठेगा।
~ नंदकिशोर नवल
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