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Tuesday, September 27, 2016

आप मिले तो लगा जिंदगी



आप मिले तो लगा जिंदगी
अपनी आज निहाल हुई
मन जैसे कश्मीर हुआ है
आँखें नैनीताल हुईं।

तन्हाई का बोझा ढो–ढो
कमर जवानी की टूटी
चेहरे का लावण्य बचाये
नहीं मिली ऐसी बूटी
आप मिले तो उम्र हमारी
जैसे सोलह साल हुई।

तारों ने सन्यास लिया था
चाँद बना था वैरागी
रात साध्वी बनकर काटी
दिन काटा बनकर त्यागी
आप मिले तो एक भिखारिन
जैसे मालामाल हुई।

कल तक तो सपनों की बग़िया
में पतझड़ का शासन था
कलियाँ थीं लाचार द्रोपदी
मौसम बना दुःशासन था
आप मिले तो लगा सुहागिन
हर पत्ती, हर डाल हुई।

बस्ती में रह कर भी हमने
उम्र पहाड़ों में काटी
कभी मिलीं हैं हमें ढलानें
कभी मिली ऊँची घाटी
आप मिले तो धूल राह की
चंदन और गुलाल हुई।

अंधे को मिल गई आँख
भूखे को आज मिली रोटी
जीवन की ऊसर धरती में
दूब उगी छोटी–छोटी
आप मिले तो सभी निलंबित
खुशियाँ आज बहाल हुईं
मन जैसे कश्मीर हुआ है
आँखें नैनीताल हुईं।

~ दिनेश प्रभात


   Sep 27, 2016  | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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