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Saturday, September 17, 2016

धीरज रखना भाई नीले आसमान



धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के

क्योंकि संकल्प हमारे मनों के
इस समय ज़रा अलग हैं

हम धूलिकणों के बने हुये
रसाल-फलों में
बदल रहे हैं अपने-अपने
छोटे-बड़े सपने

धीरज रखना
भाई नीले आसमान
फिर कोई बिजली मत गिरा देना
बिना घनों के

~ भवानी प्रसाद मिश्र


Aug 31, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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