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Friday, September 16, 2016

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे



मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

ज़माने भर के ग़म या इक तेरा ग़म
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे

अगर तू इत्तिफ़ाक़न मिल भी जाए
तेरी फ़ुरकत के सदमे कम न होंगे
*फ़ुरकत=विरह

दिलों की उलझनें बढ़ती रहेंगी
अगर कुछ मशविरे बाहम न होंगे
*बाहम=आपस में, एक दूसरे के साथ

हफ़ीज़ उनसे मैं जितना बदगुमां हूं
वो मुझ से इस क़दर बरहम न होंगे
*बरहम=उत्तेजित, क्षुब्ध

~
हफ़ीज़ होशियारपुरी

Aug 16, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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