मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
ज़माने भर के ग़म या इक तेरा ग़म
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे
अगर तू इत्तिफ़ाक़न मिल भी जाए
तेरी फ़ुरकत के सदमे कम न होंगे
*फ़ुरकत=विरह
दिलों की उलझनें बढ़ती रहेंगी
अगर कुछ मशविरे बाहम न होंगे
*बाहम=आपस में, एक दूसरे के साथ
हफ़ीज़ उनसे मैं जितना बदगुमां हूं
वो मुझ से इस क़दर बरहम न होंगे
*बरहम=उत्तेजित, क्षुब्ध
~ हफ़ीज़ होशियारपुरी
Aug 16, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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