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Saturday, September 24, 2016

फूल महकें मेरे आँगन में..



फूल महकें मेरे आँगन में सबा भी आये
तू जो आये तो मेरे घर में ख़ुदा भी आये।
*सबा= पूरब की सुगंधित हवा

इस क़दर ज़ख़्म लगाये हैं ज़माने ने कि बस
अब के शायद तेरे कूचे की हवा भी आये।
*कूचे=गली

ये भी कूचा-ए-जानां कि रिवायत कि यहाँ
लब पे शिकवा अगर आये तो दुआ भी आये।
*कूचा-ए-जानां=प्रेमिका की गली; रिवायत=रिवाज़

मैंने सौ तरहा जिसे दिल में छुपाये रखा
लोग वो ज़ख़्म ज़माने को दिखा भी आये।

क्या क़यामत है जो सूरज उतर आया सर पर
मेरी आँखों में दर आये, तो मज़ा भी आये।
*दर=घुस जाना

पिछले मौसम तो बड़ा कहत रहा ख़्वाबों का
अब के शायद कोई एहसास नया भी आये।
*कहत=कमी, अभाव; अहसास=अनुभूति

~ इफ़्तेख़ार आरिफ़


   Sep 24, 2016  | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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