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Friday, September 16, 2016

तेरे दिल से जो नफ़रत न मिट पाएगी

तेरे दिल से जो नफ़रत न मिट पाएगी
तेरे घर में गुलामी पलट आएगी

तेरी बरबादियों का तुझे वास्ता
ढूँढ अपने लिए अब नया रास्ता

अपने अन्दर ज़रा झाँक मेरे वतन
अपने ऐबों को मत ढांक मेरे वतन!

~ साहिर लुधियानवी


Aug 14, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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