मुहब्बत ऐसा नगमा है
ज़रा भी झोल हो लय में
तो सुर कायम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा शोला है
हवा जैसी भी चलती हो
कभी मद्धम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा रिश्ता है
के जिसमे बंधने वालों के
दिलों में गम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा पौधा है
जो तब भी सब्ज़ रहता है
के जब मौसम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा रास्ता है
अगर पैरों में लर्जिश हो
तो ये महरम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा दरिया है
के बारिश रूठ भी जाये
तो पानी कम नहीं होता
~ अमजद इस्लाम अमजद
Aug 24, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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