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Wednesday, September 28, 2016

अजनबी अजनबी



हमसफ़र बन के हम साथ हैं आज भी
फिर भी है ये सफ़र अजनबी अजनबी,
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी
जाएँगे हम किधर अजनबी अजनबी

ज़िन्दगी हो गयी है सुलगता सफ़र
दूर तक आ रहा है धुआँ सा नज़र
जाने किस मोड़ पर खो गयी हर ख़ुशी
देके दर्द-ऐ-जिगर अजनबी अजनबी

हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो
है चमन में वही आशियाँ आज भी
लग रहा है मगर अजनबी अजनबी

किसको मालूम था दिन ये भी आयेंगे
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी
हर घडी हर पहर अजनबी अजनबी

~ मदन पाल


   Sep 28, 2016  | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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