तू जहाँ तक कहे उम्मीद वहाँ तक रखूँ
पर, हवाओं पे घरौंदे मैं कहाँ तक रखूँ।
दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रखूँ।
~ आलोक श्रीवास्तव
पर, हवाओं पे घरौंदे मैं कहाँ तक रखूँ।
दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रखूँ।
~ आलोक श्रीवास्तव
Aug 31, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment