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Saturday, September 17, 2016

तू जहाँ तक कहे उम्मीद


तू जहाँ तक कहे उम्मीद वहाँ तक रखूँ
पर, हवाओं पे घरौंदे मैं कहाँ तक रखूँ।

दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रखूँ।

~ आलोक श्रीवास्तव

Aug 31, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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