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Saturday, September 17, 2016

कृष्ण उठत, कृष्ण चलत




कृष्ण उठत, कृष्ण चलत, कृष्ण शाम-भोर है,
कृष्ण बुद्धि, कृष्ण चित्त, कृष्ण मन विभोर है।
कृष्ण रात्रि, कृष्ण दिवस, कृष्ण स्वप्न-शयन है,
कृष्ण काल, कृष्ण कला, कृष्ण मास, अयन है।
कृष्ण शब्द, कृष्ण अर्थ, कृष्ण ही परमार्थ है,
कृष्ण कर्म, कृष्ण भाग्य कृष्ण ही पुरुषार्थ है।
कृष्ण स्नेह, कृष्ण राग, कृष्ण ही अनुराग है,
कृष्ण कली, कृष्ण कुसुम, कृष्ण ही पराग है।
कृष्ण भोग, कृष्ण त्याग, कृष्ण तत्व ज्ञान है,
कृष्ण भक्ति, कृष्ण प्रेम, कृष्ण ही विज्ञान है।
कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष, कृष्ण परम साध्य है,
कृष्ण जीव, कृष्ण ब्रह्म, कृष्ण ही आराध्य है।

*अयन=छः मास (हिन्दू समय मापन इकाई)

~ इस सुंदर भावमय कविता के रचयिता का नाम अज्ञात है, यदि किसी को कवि का नाम मालूम हो ज़रूर बतायें।


Aug 25, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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