Disable Copy Text

Wednesday, November 16, 2016

जीवन में अरमानों का...



जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता है।

मैंने ऐसा मनुज न देखा
अंतर में अरमान न जिसके,
मिला देवता मुझे न कोई
शाप बने वरदान न जिसके।
पंथी को क्या ज्ञात कि
पथ की जड़ता में चेतनता है?
पंथी के श्रम स्वेद-कणों से पथ गतिमान नहीं होता है।
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता है।

यदि मेरे अरमान किसी के
उर पाहन तक पहुँच न पाए,
अचरज की कुछ बात नहीं
जो जग ने मेरे गीत न गाए।
यह कह कर संतोष कर लिया-
करता हूँ मैं अपने उर में,
अरुण-शिखा के बिना कहीं क्या स्वर्ण-विहान नहीं होता है।
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता है।

मैं ही नहीं अकेला आकुल
मेरी भाँति दुखी जन अनगिन,
एक बार सब के जीवन में
आते गायन रोदन के क्षण,
फिर भी सब के मन का सुख-दुख एक समान नहीं होता है।
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता है।

~ बलबीर सिंह 'रंग'


  Nov 16, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment