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Monday, November 14, 2016
नैनों की बँध डोर
नैनों की बँध डोर
चपल कनखियों के छोर
कहे बिन चोट दे गई।
कहा जो दे दे यौवन धन
सकुचाई मन ही मन,
लजा कर लोट हो गई।
~ अशोक सिंह
Nov
1
3
, 201
6
| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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