कल तलक जिस में रह न पायेंगे
उसको अपना मकान कहते है।
अपने बस में, न अपने क़ाबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते है।
Nov 2, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
उसको अपना मकान कहते है।
अपने बस में, न अपने क़ाबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते है।
हो ख़िजाँ और बहार का हमदम
तब उसे गुलसितान कहते है।
उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते है।
~ अशरफ़ गिल
तब उसे गुलसितान कहते है।
उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते है।
~ अशरफ़ गिल
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