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Thursday, November 3, 2016

कल तलक जिस में रह न पायेंगे

कल तलक जिस में रह न पायेंगे
उसको अपना मकान कहते है।

अपने बस में, न अपने क़ाबू में
जिसको अपनी ज़बान कहते है।

हो ख़िजाँ और बहार का हमदम
तब उसे गुलसितान कहते है।

उसके ज़ोर-ओ-सितम से हूँ वाक़िफ़
सब जिसे मेहरबान कहते है।

~ अशरफ़ गिल


  Nov 2, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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