हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं, ख़ुशी भी नहीं
अंधेरा पूरा नहीं, पूरी रौशनी भी नहीं
है दुश्मनों से कोई ख़ास दुश्मनी भी नहीं
जो दोस्त अपने हैं उनसे कभी बनी भी नहीं
मैं कैसे तोड़ दूँ दुनिया से सारे रिश्तों को
अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं
~ कृष्णानंद चौबे
अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं
~ कृष्णानंद चौबे
Nov 26, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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