Disable Copy Text

Sunday, November 27, 2016

हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं


हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं, ख़ुशी भी नहीं
अंधेरा पूरा नहीं, पूरी रौशनी भी नहीं

है दुश्मनों से कोई ख़ास दुश्मनी भी नहीं
जो दोस्त अपने हैं उनसे कभी बनी भी नहीं

मैं कैसे तोड़ दूँ दुनिया से सारे रिश्तों को
अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं

~ कृष्णानंद चौबे

  Nov 26, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment