Disable Copy Text

Monday, January 2, 2017

आख़िर इस नए साल में क्या नया है

Image may contain: night

इस साल हमने बहुत सोचा विचारा
यहाँ तक कि अपना सर तक दीवार पे दे मारा
बहुतों से पूछा बहुतों ने बताया
फिर भी यह रहस्य समझ में नहीं आया
कि कल और आज में अंतर क्या है
आख़िर इस नए साल में क्या नया है

वही रोज़ की मारामारी
जीवन जीने की लाचारी
बढ़ती हुई महँगाई
सरकार की सफ़ाई
राशन की लाइन
ट्रैफ़िक का फाइन
गृहस्थी की किचकिच
आफ़िस की खिचखिच
सड़कों के गढ्ढे
नेताओं के फड्डे
लेफ्ट की चाल
बेटी की ससुराल
मुर्गी या अंडा
अमरीका का फंडा
खून का स्वाद
धर्म का उन्माद
एक सा अख़बार
फिर मर गए चार
राष्ट्रगान का अपमान
मेरा भारत महान
आज भी है वही जूता लात
न हम बदले हैं न हालात
सिर्फ़ सफ़ेद हो गए चार बाल
क्या इस लिए मनाएँ नया साल

अभी हमारा मन
इस चक्कर से नहीं था निकल पाया
तभी हमारा बेटा हमारे पास आया
बोला पापा क्या आप
इस साल भी रोज़ आफ़िस से लेट आओगे
हमारे साथ बिल्कुल टाइम नहीं बिताओगे
और आ के सारा टाइम सिर्फ़ टीवी निहारोगे
आफ़िस का सारा गुस्सा भी घर पर उतारोगे
सच कहूँ
जो साथ ले के चलते हैं दुनिया के ग़म
उनकी उम्र हो जाती है दस साल कम
क्या फ़र्क पड़ता है कि क्या होगा कल
खुश रहो आज जियो हर पल
जानते हैं मैंने ये पिटारा क्यों खोला है
क्योंकि चार दिन हो गए
आपने मुझे अभी तक हैप्पी न्यू
यिअ नहीं बोला है
तब हमें ये समझ में आया
कि कुछ बदलने के लिए हर पल मनाना बहुत ज़रूरी है
और हर खुशी बिना अपनों के साथ के अधूरी है
सो इस लिए आप को विश करता हूँ डियर
नव वर्ष की शुभकामनाएँ हैप्पी न्यू यिअ
र।

∼ सरदार टुक टुक


  Jan 01, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment