ख़ुलूसो मोहब्बत की खुशबू से तर है
चले आइये, ये अदीबों का घर है।
अलग ही मज़ा है फ़क़ीरी का अपना
न पाने की चिंता, न खोने का डर है।
Jan 22, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
चले आइये, ये अदीबों का घर है।
अलग ही मज़ा है फ़क़ीरी का अपना
न पाने की चिंता, न खोने का डर है।
~ दीक्षित दनकौरी
Jan 22, 2017| e-kavya.blogspot.com
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