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Friday, January 8, 2016

मुबारक मुबारक नया साल सब को




मुबारक मुबारक नया साल सब को
न चाहा था हम ने तू हम से जुदा हो
मगर किस ने रोका है बहती हवा को
जो हम चाहते हैं वो कैसे भला हो
ऐ जाते बरस तुझ को सौंपा ख़ुदा को
मुबारक मुबारक नया साल सब को

मुबारक घड़ी में ये हम अहद कर लें
ब-सद-शान हम ज़िंदगी में सँवर लें
गुलों की तरह गुलिस्ताँ में निखर लें
बनें हम भी सूरज गगन में उभर लें
मुबारक मुबारक नया साल सब को

अँधेरों ने लूटी उजालों की दौलत
उड़ा ले गया वक़्त इक ख़्वाब-ए-राहत
न लौटेगी बीती हुई कोई साअत
जो अब भी न जागे तो होगी क़यामत
मुबारक मुबारक नया साल सब को

*अहद=वादा; ख़्वाब-ए-राहत=सुकून के सपने; साअत=क्षण, पल

उमीदें हैं राहें अज़ाएम सवारी
ख़बर दे रही है ये बाद-ए-बहारी
महकती हुयी मंज़िलें प्यारी प्यारी
कि सदियों से तकती हैं राहें हमारी
मुबारक मुबारक नया साल सब को
मुबारक मुबारक नया साल सब को

*अज़ाएम=इरादे; बाद-ए-बहारी=वसंत की पवन

~ मोहम्मद असदुल्लाह


  Jan 1, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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