
ले गया कौन गुलिस्ताँ से चुरा कर खुशबू
फूल खिलते तो है पहले सी वो बू-बात नहीं
है फज़ाओं पे वही धुंध की चादर सी तनी
दिन तो निकला है मगर सुबह का एहसास नहीं
मुद्दते हो गयीं कंगाल हुआ फिरता हूँ
अब तेरी यादों की ख़ुशबू भी मेरे पास नहीं
~ कलीम उसमानी
अब तेरी यादों की ख़ुशबू भी मेरे पास नहीं
~ कलीम उसमानी
Jan 10, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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