निकालूँ किस तरह सीने से अपने तीरे-जानाँ को,
न पैकाँ दिल को छोड़े है, न दिल छोड़े है पैकाँ को।
*पैकाँ=तीर की नोक
Jan 19, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
न पैकाँ दिल को छोड़े है, न दिल छोड़े है पैकाँ को।
*पैकाँ=तीर की नोक
~ शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
Jan 19, 2016| e-kavya.blogspot.com
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