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Friday, January 8, 2016

बेपैकर ख़ुशबू के साथ भटकते हो

तशख़ीश:

बेपैकर ख़ुशबू के साथ भटकते हो
और शिकायत करते हो तनहाई की
तुम नादाँ हो, जीना तुमको नहीं आता
इससे ज़ियादा कुछ न कहेंगे लब मेरे।

*तशख़ीश=पहचान; बेपैकर=काया-रहित

~ शहरयार


  Jan 5, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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