
प्यार के शोर में प्यार मन से खो गया
मित्र मिले डगर-नगर मीत कहाँ खो गया
क्यूँ कहने लगे प्यार हम इस लेन देन को
झूठी अकड़ में काहे खोया दिल के चैन को
अपनत्व जाने कैसे पीठ मोड़ सो गया
प्यार के शोर में प्यार मन से खो गया
कैसी ये घड़ी आई, सब नवीनता गई
आडम्बरों से घिरी, सारी सहजता गई
पुनरुक्तियों की वेदी, पर निजत्व खो गया
प्यार के शोर में प्यार मन से खो गया
सदियों के संस्कार छोड़, क्षुद्रता चुनी
शालीनता को त्याग कर अभद्रता गुनी
विराट से विमुख ह्रदय विदीर्ण हो गया
प्यार के शोर में प्यार मन से खो गया
तुझसे भी करूं बात शब्द तोल तोल के
अश्रद्धा विष का करूं पान घोल घोल के
राम मेरे कृपा दृष्टि डालो, और करो दया
प्यार के शोर में प्यार मन से खो गया
~ अज्ञात
Dec 29, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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