घर जो लौटे भी सर-ऐ-शाम तो कुछ पास न था
दिन से परछाईं मिली थी सो कहीं छूट गई
बूद-ओ-बाश अपनी न पूछो कि इसी शहर में हम
सादगी गाँव की लाये थे, यहीं छूट गई।
Jan 26, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
दिन से परछाईं मिली थी सो कहीं छूट गई
बूद-ओ-बाश अपनी न पूछो कि इसी शहर में हम
सादगी गाँव की लाये थे, यहीं छूट गई।
*सर-ए-शाम=शाम होने पर; बूद-ओ-बाश=ठौर-ठिकाना
~ शहाब जाफ़री
~ शहाब जाफ़री
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