जहाँ जहाँ तिरी नज़रों की ओस टपकी है
वहाँ वहाँ से अभी तक ग़ुबार उठता है
~ साहिर लुधियानवी
Dec 18, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
वहाँ वहाँ से अभी तक ग़ुबार उठता है
~ साहिर लुधियानवी
Dec 18, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment