ज़िन्दगीकी तवील राहों में
मुतलक़न पेचो-ख़म नहीं होंगे
एक ऐसा भी वक़्त आयेगा
जब यह दैरो-हरम नहीं होंगे
Jan 25, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मुतलक़न पेचो-ख़म नहीं होंगे
एक ऐसा भी वक़्त आयेगा
जब यह दैरो-हरम नहीं होंगे
*तवील राहों में=लम्बे मार्गों में; मुतलक़न=कदापि; पेचो-ख़म=घुमाव- फिराव; दैरो-हरम=मन्दिर-मस्जिद
~ नरेश कुमार शाद
~ नरेश कुमार शाद
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