चश्मा लगा के आँख पर चलने लगे हसीं,
वो लुत्फ़ अब कहाँ निगह-ए-नीम-बाज़ का
*निगह-ए-नीम-बाज़=अधखुली आँखों से देखना
~ हाशिम अज़ीमाबादी
Dec 22, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
वो लुत्फ़ अब कहाँ निगह-ए-नीम-बाज़ का
*निगह-ए-नीम-बाज़=अधखुली आँखों से देखना
~ हाशिम अज़ीमाबादी
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