मज़ा आता अगर गुज़री हुयी बातों का अफ़साना
कहीं से तुम बयाँ करतीं, कहीं से हम बयाँ करते।
~ वहशत
Jan 17, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
कहीं से तुम बयाँ करतीं, कहीं से हम बयाँ करते।
~ वहशत
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