
चाँदनी रात में,
एक बार तुम्हें देखा है।
जागती थी जैसे साहिल पे कहीं,
लेके हाथों में कोई साजे-हसीं
एक रंगीन ग़ज़ल गाते हुए,फूल बरसाते हुए
प्यार छलकाते हुए ,
चाँदनी रात में,
एक बार तुम्हें देखा है।
तूने चेहरे पे झुकाया चेहरा ,
मैंने हाथों से छुपाया चेहरा,
लाज से शर्म से घबराते हुए ,
फूल बरसाते हुए, प्यार छलकाते हुए,
चाँदनी रात में
एक बार तुम्हें देखा है।
~ नक़्श लायलपुरी
Oct 15, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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