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Friday, October 23, 2015

हवा की नर्म-ख़िरामी भी



हवा की नर्म-ख़िरामी भी क्या क़यामत है
कि उसकी याद उमड़ आई है घटा की तरह
मैं उसको सोच तो सकता हूँ, छू नहीं सकता
वो मेरे सामने मौजूद है - ख़ुदा की तरह।

*नर्म-ख़िरामी=धीमी चाल

~ अहमद नदीम क़ासमी


  Oct 23, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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