अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
Oct 24, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं
*राज़े-हस्ती=अस्तित्व के रहस्य
~ इक़बाल
और आँखों से देखता हूँ मैं
*राज़े-हस्ती=अस्तित्व के रहस्य
~ इक़बाल
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