आ गया हो ना कोई भेष बदल कर देखो
दो कदम साए के हमराह भी चलकर देखो,
मेहमाँ रौशनियों! सख्त अंधेरा है यहां,
पांव रखना मेरी चौखट पे, संभल कर देखो!
दो कदम साए के हमराह भी चलकर देखो,
मेहमाँ रौशनियों! सख्त अंधेरा है यहां,
पांव रखना मेरी चौखट पे, संभल कर देखो!
~ मख़्मूर सईदी
Oct 18, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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