मिरी ज़िंदगी, मिरी शाइरी, किसी ग़म की देन है 'जाफ़री'
दिल ओ जाँ का क़र्ज़ चुका दिया, मैं गुनाहगार नहीं गया।
~ क़ैसर-उल जाफ़री
Oct 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
दिल ओ जाँ का क़र्ज़ चुका दिया, मैं गुनाहगार नहीं गया।
~ क़ैसर-उल जाफ़री
Oct 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment