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Friday, October 9, 2015

मिरी ज़िंदगी, मिरी शाइरी

मिरी ज़िंदगी, मिरी शाइरी, किसी ग़म की देन है 'जाफ़री'
दिल ओ जाँ का क़र्ज़ चुका दिया, मैं गुनाहगार नहीं गया।

~ क़ैसर-उल जाफ़री

  Oct 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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